नई दिल्ली – भारत की विदेश नीति और आतंकवाद के खिलाफ उसके कड़े रुख का ताजा उदाहरण है "ऑपरेशन सिंदूर"। इस हाई-प्रोफाइल मिशन के तहत सरकार ने एक ऑल-पार्टी प्रतिनिधिमंडल का गठन किया है, जो दुनिया को भारत की आतंकवाद विरोधी नीति से अवगत कराएगा। लेकिन इस मिशन में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि कांग्रेस की ओर से नाम न आने के बावजूद, शशि थरूर को इस ग्लोबल डिप्लोमैटिक डेलीगेशन का चेहरा बना दिया गया।
ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक और कूटनीतिक पहल है। इस मिशन की अगुवाई कांग्रेस सांसद शशि थरूर कर रहे हैं, जिन्हें पार्टी की तरफ से नामित नहीं किया गया था, फिर भी सरकार ने उन्हें चुना। यह मिशन भारत की विदेश नीति और वैश्विक नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है।
शशि थरूर को क्यों चुना गया?
कांग्रेस की ओर से ऑपरेशन सिंदूर के लिए चार अन्य नाम भेजे गए थे, लेकिन थरूर को नजरअंदाज कर दिया गया। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने उन्हें चुना — क्योंकि थरूर केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की एक सशक्त आवाज हैं। संयुक्त राष्ट्र में उनके अनुभव और विदेश नीति पर उनकी गहरी समझ ही उन्हें इस मिशन का स्वाभाविक नेता बनाती है।
>"ऑपरेशन सिंदूर का नाम ही काफी है – यह एक सांस्कृतिक और रणनीतिक संदेश दोनों देता है,"
– शशि थरूर
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
यह एक सर्जिकल एयर-स्ट्राइक मिशन था, जिसमें भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान में छिपे आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इसमें 100 से ज्यादा आतंकवादियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। अमेरिका, फ्रांस, इज़राइल और यूके जैसे देशों ने भारत के इस कदम को समर्थन दिया है – इसे भारत की कूटनीतिक जीत माना जा रहा है।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने इस ऑपरेशन की खुले दिल से सराहना की। उन्होंने सेना की बहादुरी और सरकार के कदम का समर्थन करते हुए इसे देश की सुरक्षा के लिए जरूरी बताया।
ग्लोबल मिशन: भारत का नया अंदाज़
थरूर के नेतृत्व में यह प्रतिनिधिमंडल अमेरिका, यूके, फ्रांस, जर्मनी, जापान समेत कई देशों की यात्रा करेगा और बताएगा कि भारत आतंकवाद को लेकर कितना गंभीर है। यह भारत की 'जीरो टॉलरेंस फॉर टेररिज्म' नीति को मजबूत ग्लोबल सपोर्ट दिलाने की दिशा में एक बड़ा क़दम है।
ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, यह भारत की रणनीतिक सोच, राजनीतिक एकता और वैश्विक स्तर पर अपने पक्ष को मज़बूती से रखने की एक मिसाल है। शशि थरूर की अगुवाई में भारत की आवाज़ अब और बुलंद सुनाई देगी।